भारतीय पावर सेक्टर में अडानी-टाटा की जंग: कौन है आगे?

On: November 23, 2025 4:20 PM
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Power Stocks: भारत में बिजली की कमी अब पुरानी बात हो गई। आज देश के पास 500 GW से ज़्यादा बनाने की क्षमता है,  गांवों में (Deen Dayal Upadhyaya Gram Jyoti Yojana) और सौभाग्या योजना से करोड़ों घरों तक बिजली पहुंच गई है., सोलर-पंखे भी छतों पर लग गए। इस रोशनी के दौर में दो नाम सबसे ज़ोर से गूँजते हैं—अडानी पावर और टाटा पावर। दोनों एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं, पर दांव-पेंच अलग-अलग हैं। 

अडानी पावर: थर्मल पावर का बादशाह

पहले बात अडानी की। अडानी पावर सिर्फ़ कोयले वाली बिजली पर दाँव लगा रही है। कंपनी के पास अभी 18 हज़ार MW से ऊपर थर्मल प्लांट हैं—इतनी बिजली कि पूरे बिहार-झारखंड का बिल खप जाए। कोयले की ज़रूरत भी खुद ही पूरी करती है: सालाना 74 मिलियन टन हैंडल करती है, और अपनी ही एक खदान से 14 मिलियन टन निकालने की योजना बना रही है। शेयर बाज़ार में इसका भाव 150 रुपये के आस-पास घूम रहा है और पाँच साल में 18 गुना से ज़्यादा उछल चुका है। लक्ष्य? 42 GW तक पहुँचना, लेकिन ज़्यादातर “कोयला-पावर” ही रहेगा।

टाटा पावर: भविष्य की तैयारी और ग्रीन एनर्जी

अब टाटा पावर की बारी। ये ठेकेदारी वाली बात नहीं करता, पूरी चेन संभालता है—बिजली बनाना, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, सोलर पैनल बनाना, EV चार्जिंग स्टेशन लगाना, सब कुछ। कुल 26 GW क्षमता है, जिसमें 70% से ज़्यादा अब क्लीन एनर्जी है—सोलर, विंड और हाइड्रो मिला के। मुंबई-दिल्ली जैसे शहरों में 1.3 करोड़ घरों तक बिजली पहुँचाता है। सरकारी लक्ष्य तो 2030 तक 70% ग्रीन और 2045 तक “नेट-ज़ीरो” करने का है। शेयर की कीमत 387 रुपये है, पर ग्रोथ धीमी और स्थिर—जैसे घर के बड़े भैया की तरह।

दोनों में कौन ज़्यादा दमदार? अगर “फटाफट पैसा” देखें तो अडानी का रिटर्न तेज़ है, पर रिस्क भी वहीं ज़्यादा—कोयले के दाम उछले तो झटका लगेगा। टाटा पावर धीमा है, पर डाइवर्सिफाइड; कोयले की कीमत बढ़े तो सोलर वाले प्लांट संभाल लेंगे। EV चार्जिंग और बैटरी स्टोरेज जैसे नए धंधे भी उसकी झोली में हैं। तो जो साहसी है, अडानी की ओर देखे; जो धीरे-धीरे लंबी दौड़ चाहे, टाटा पावर पर भरोसा करे।

मापदंडअडानी पावरटाटा पावर
मार्केट कैप~₹2.9 लाख करोड़~₹1.2 लाख करोड़
कुल बिजली18 GW (थर्मल)26 GW (60%+ रिन्यूएबल)
कोयला नियंत्रणखुद की खदान, लॉजिस्टिक्सइंडोनेशिया की दो खदानों में हिस्सा
ग्रीन टारगेटलिमिटेड70% ग्रीन by 2030, नेट-ज़ीरो by 2045
EV/सोलर मैन्यू.नहीं4.9 GW सोलर मैन्यू., 5,600+ EV चार्जर
5-साल रिटर्न~1,800%~250%
रिस्ककोयला-प्राइस, ESG प्रेशरकम, पर ग्रोथ धीमी

निष्कर्ष

दोनों अपनी-अपनी जगह मज़बूत हैं। अडानी “स्पीड” है, टाटा “स्पीड-ब्रेकर” के साथ “सुरक्षा”। आपका पैसा, आपकी रणनीति—बस इतना समझ लीजिए कि बिजली का भविष्य उजला है, पर रास्ते अलग-अलग हैं।

Disclaimer: इस लेख में दिए गए आंकड़े उपलब्ध डेटा और मार्केट रिपोर्ट के आधार पर हैं। समय के साथ कंपनियों के आंकड़ों और रणनीतियों में बदलाव संभव है।

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