Eastman Auto and Power Ltd (EAPL) आज भारत की ई-मॉबिलिटी और एनर्जी सॉल्यूशन कंपनियों में तेजी से उभरती कंपनी बन चुकी है। खास बात यह है कि देश भर के ई-रिक्शों में भारतीय बाजार का करीब आधा हिस्सा EAPL की बैटरियों से चलता है। अब कंपनी सार्वजनिक होने की तैयारी कर रही है और सेबी के पास DRHP गोपनीय रूप से फाइल कर चुकी है। बाजार में अनुमान है कि यह IPO 1,800 से 2,000 करोड़ रुपये का बड़ा इश्यू हो सकता है, जिसमें फ्रेश इश्यू के अलावा ओल्ड-फ्लोअर सेल (OFS) भी शामिल होगा। निवेशकों की दिलचस्पी खासकर इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि ई-रिक्शा, सोलर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स को सरकार और मार्केट से मजबूत समर्थन मिल रहा है।
कंपनी का सफर और बैकग्राउंड
EAPL की शुरुआत 2000 के आसपास हुई और ये JRS Eastman Group से जुड़ी है। कंपनी ने शुरुआती सालों में छोटे-मोटे पावर प्रोडक्ट से लेकर अब बड़े पैमाने पर बैटरी और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स तक का सफर तय किया है। कंपनी का फोकस अंतिम मील ई-मोबिलिटी यानी ई-रिक्शा (E3W), लास्ट-माइल डिलीवरी व्हीकल्स और संबंधित बैटरी सॉल्यूशंस पर रहा है। आज EAPL के पास 400+ OEM ग्राहक, 2,500 सर्विस पार्टनर और लगभग 1,200 डिस्ट्रिब्यूटर हैं, और कंपनी के उत्पाद 50+ देशों में एक्सपोर्ट होते हैं — जो उसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पकड़ को दिखाता है।
बिज़नेस के तीन मजबूत स्तम्भ
EAPL का व्यापार तीन प्रमुख सेक्शन में बंटा हुआ है। पहला, ई-मोबिलिटी बैटरी और चार्जिंग सोल्यूशंस, जो कंपनी की राजस्व की बड़ी हिस्सेदारी बनाते हैं। दूसरा, EMS (Electronics Manufacturing Services) जहां कंपनी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित हार्डवेयर बनाती है। तीसरा, सोलर सिस्टम और एनर्जी स्टोरेज — हाल के वर्षों में कंपनी ने इस क्षेत्र में भी बड़े निवेश किए हैं, जिसमें सोनीपत का 800 MW सोलर पैनल प्लांट शामिल है। कुल मिलाकर कंपनी के पास 8 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं और सालाना करीब 2 मिलियन यूनिट्स प्रोडक्शन क्षमता का दावा करती है।
प्रोडक्शन क्षमता और टेक्नोलॉजी
EAPL की टेक्निकल रेंज लिथियम-आधारित बैटरी, इन्वर्टर, सोलर बैटरी स्टोरेज और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स तक फैली हुई है। कंपनी बताती है कि उसकी बैटरी स्टोरेज क्षमता 11.47 GWh और एनर्जी स्टोरेज यूनिट्स का प्रोडक्शन लगभग 6 मिलियन यूनिट्स तक है। तीन प्लांट विशेष रूप से पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर काम करते हैं। इन बड़ी संख्याओं से साफ है कि कंपनी बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में सक्षम है और मांग बढ़ने पर स्केल-अप कर सकती है।
IPO का प्लान और फंड का इस्तेमाल
IPO के जरिए EAPL फ्रेश कैपिटल जुटाने के साथ ओल्ड-फ्लोअर शेयर भी ऑफर कर सकती है। कंपनी ने Axis Capital, JM Financial और Motilal Oswal जैसे बैंकों को एडवाइजर नियुक्त किया है। जुटाए गए फंड का उपयोग मुख्यत: नए प्लांट्स खोलने, कैपेसिटी विस्तार, R&D पर खर्च और बकाया ऋण घटाने में किया जाएगा। अगर सब योजनानुसार गया तो यह निवेश कंपनी की उत्पादन क्षमता और तकनीकी क्षमताओं को अगले स्तर पर ले जाएगा।
वित्तीय प्रदर्शन और ग्रोथ रेट
EAPL ने FY23-25 के दौरान तेज़ी से ग्रोथ दिखाई — रेवेन्यू में करीब 28% CAGR दर्ज किया गया और FY25 का राजस्व लगभग 4,228 करोड़ रूपये रहा। यह ग्रोथ उस समय परक है जब EV और सोलर दोनों सेक्टरों में मांग बढ़ रही है। हालांकि लाभप्रदता और महंगे कच्चे माल ने मार्जिन पर दबाव डाला होगा, फिर भी कुल मिलाकर रेवेन्यू ग्रोथ निवेशकों के लिये सकारात्मक संकेत है। अगर कंपनी अपने R&D और उत्पादन लागत में सुधार लाए, तो मार्जिन और मजबूत हो सकते हैं।
मजबूत मार्केट पोजिशन और प्रतिस्पर्धा
EAPL की मजबूत पकड़ खासकर ई-रिक्शा सेक्टर में है — बाजार का करीब आधा हिस्सा उसके नाम पर है। पर मुकाबला भी कड़ा है: Exide, Okaya और अन्य बड़े प्लेयर्स इस स्पेस में हैं। कच्चे माल (जैसे लिथियम, सेपरेटर्स) की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक सप्लाई चेन रिस्क भी चुनौती है। फिर भी EAPL का विस्तृत OEM नेटवर्क, सर्विस पार्टनर्स और डिस्ट्रिब्यूशन चैनल इसे प्रतियोगियों से अलग रखते हैं। सरकारी प्रोत्साहन स्कीम्स और EV-POLICIES से कंपनी को और भी सहारा मिलेगा।
रोजगार, एक्सपोर्ट और ब्रांडिंग
EAPL न केवल घरेलू मांग को पूरा कर रही है बल्कि 50+ देशों को एक्सपोर्ट भी कर रही है। यह बात कंपनी के ब्रांड-वर्थ और टेक्निकल क्षमताओं को दर्शाती है। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और सर्विस नेटवर्क ने कंपनी को ग्रामीण व शहरी दोनों बाजारों में पैठ दिलाई है। ब्रांडिंग और सप्लाई-चेन मैनेजमेंट में सुधार से दीर्घकालिक विकास के मार्ग और खुले दिखाई देते हैं।
निवेशक दृष्टि और जोखिम
IPO से पहले ग्रे मार्केट प्रीमियम, सब्सक्रिप्शन ट्रेंड और वेल्यूएशन संकेतक देखना जरूरी होगा। रिटेल निवेशक रिटेल कोटा का फायदा उठा सकते हैं, पर किसी भी IPO में मार्केट रिस्क बना रहता है। निवेश निर्णय लेते समय कंपनी की वैल्यूएशन, भविष्य की ग्रोथ प्रोजेक्शन, कच्चे माल की भावना और वैश्विक आपूर्ति हालात पर ध्यान दें। EAPL जैसे प्लेयर्स भारत के EV हब बनने में उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं—पर जोखिम की पहचान करना भी जरूरी है।
भविष्य के अवसर और रणनीति
लंबी अवधि में EV एडॉप्शन, सोलर मिशन और पावर स्टोरेज की बढ़ती मांग EAPL के लिये बड़ा अवसर हैं। कंपनी को ऊर्जा स्टोरेज समाधान, लिथियम-आधारित प्रोडक्ट रेंज और ग्लोबल मार्केट एक्सपेंशन पर ज्यादा जोर देना होगा। साथ ही R&D निवेश और इनोवेशन से लागत घटाने और उत्पाद क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। अगर कंपनी इन रणनीतियों को धोखे बिना लागू करती है, तो यह अगले कुछ वर्षों में और तेज़ी से बढ़ सकती है।
ईस्टमैन ऑटो IPO मुख्य बातें
(यह सेक्शन पहले से हेडलाइन में है, इसलिए बिना बदलाव रखा गया है)
अनुमानित IPO साइज: ₹1,800-2,000 करोड़ (फ्रेश इश्यू + OFS)
FY25 रेवेन्यू: ₹4,228 करोड़ (FY23-25 में ~28% CAGR)
ई-रिक्शा बैटरी मार्केट शेयर: देश में 50%+ (अनुमानित)
ग्राहक नेटवर्क: 400+ OEMs, 2,500 सर्विस पार्टनर, 1,200 डिस्ट्रिब्यूटर्स
मैन्युफैक्चरिंग: 8 प्लांट्स; क्षमता ~2 मिलियन यूनिट्स/वर्ष
बैटरी स्टोरेज कैपेसिटी: ~11.47 GWh
सोलर प्लांट: सोनीपत 800 MW इंस्टालेशन
प्रमुख बिज़नेस सेगमेंट: ई-मोबिलिटी, EMS (पावर इलेक्ट्रॉनिक्स), सोलर व एनर्जी स्टोरेज
सलाहकार बैंक: Axis Capital, JM Financial, Motilal Oswal
एक्सपोर्ट: 50+ देश
जोखिम कारक: कच्चा माल कीमतें, प्रतिस्पर्धा, वैश्विक सप्लाई चेन जोखिम, वेल्यूएशन-सेंसिटिविटी
निष्कर्ष: निवेशकों को क्या देखना चाहिए
Eastman Auto का IPO इस दिशा का संकेत है कि ई-मॉबिलिटी और रिन्यूएबल क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी सार्वजनिक बाज़ार की तरफ़ आ रहे हैं। निवेशक IPO में रुचि रखते हैं तो उन्हें कंपनी की ग्रोथ, मर्जिन, R&D-खर्च और कच्चे माल के जोखिमों का ध्यान रखना चाहिए। दीर्घकालिक नजरिये से, अगर EV और सोलर मार्केट बढ़ते रहे तो EAPL को फायदा मिल सकता है, पर शॉर्ट-टर्म मार्केट वोलैटिलिटी से सावधान रहना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक रूप में उपलब्ध जानकारियों और बाजार अनुमान पर आधारित है। IPO में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।












